Shiksha Manovigyan | SK Mangal - PHI
MCB-926
ISBN : 9788120332805
Pages : 784
Binding : Paperback
Lanaguage:Hindi
Description-
शिक्षा मनोविज्ञान के सिद्धान्त तथा व्यावहारिक पहलुओं से पर्याप्त तालमेल बिठाती हुई यह रचना शिक्षा मनोविज्ञान से सम्बंधित सभी आवश्यक आधारभूत प्रकरणों (जिन्हें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों ने बी.एड. तथा बी.ए. के शैक्षिक पाठ्यक्रमों में स्थान दे रखा है) पर समुचित प्रकाश डालती है | विद्यार्थियों को ठीक तरह से जानकर उन्हें मनोविज्ञान के सिद्धान्तों का अनुसरण कराते हुए अधिगम पथ पर अग्रसर करने, उनका भली-भाँति समायोजन करने, मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने तथा उनके व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास हेतु शिक्षा मनोविज्ञान की जिन आधारभूत बातों का ज्ञान एवं कौशल शिक्षकों तथा शिक्षा प्रेमियों के लिए चाहिए; वह सभी इस पुस्तक में उचित, क्रमबद्ध, सरल एवं बोधगम्य रूप में प्रस्तुत किया गया है | निस्संदेह यह पुस्तक विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों के डी.एड., बी.एड. तथा बी.ए. (शिक्षा) के पाठ्यक्रमों की आवश्यकताओं को समुचित ढंग से पूरा करती है | इसके साथ ही यह पुस्तक एम.एड., एम.ए.(शिक्षा) के विद्यार्थियों, शिक्षकों, शिक्षा परामर्शदाताओं, तथा शैक्षिक प्रशासकों आदि हेतु भी समग्र दृष्टिकोण से विशेष उपयोगी है |
This book is recommended in Patna University, T.M. Bhagalpur University, Magadh University Bodh Gaya, Aryabhat Knowledge University, Patna.
मुख्य आकर्षण :
विषय-वस्तु का सरल, सरस, रोचक एवं बोधगम्य प्रस्तुतीकरण |
सैद्धन्तिक और व्यवहारात्मक ज्ञान का उचित समन्वय |
अध्याय विशेष में क्या पठन सामग्री है, यह जानने हेतु अध्याय के प्रारम्भ में अध्याय रूपरेखा तथा अंत में पुनरावृत्ति हेतु 'सारांश' तथा विशेष अध्ययन हेतु संदर्भीत एवं विशेष अध्ययन ग्रन्थों की प्रस्तुति |
पाठ्य सामग्री के उचित प्रस्तुतीकरण हेतु उदाहरणों, दृष्टाँतों, तालिकाओं तथा रेखाचित्रों एवं आरेखों का समावेश |
विद्यार्थियों की क्षमताओं एवं योग्यताओं के आकलन हेतु प्रारम्भिक एवं शैक्षिक सांख्यिकी का प्रस्तुतीकरण |
CONTENT-
- प्राक्कथन
- मनोविज्ञान - अर्थ, प्रकृति एवं क्षेत्र
- शिक्षा मनोविज्ञान - अर्थ, प्रकृति, क्षेत्र एवं कार्य
- मनोविज्ञान की विधियाँ
- वंशानुक्रम एवं वातावरण
- वृद्धि एवं विकास - अवस्थायें एवं आयाम
- शारीरिक वृद्धि एवं विकास
- बौद्धिक अथवा मानसिक विकास
- संवेगात्मक विकास एवं संवेगात्मक बुद्धि
- सामाजिक विकास
- आध्यात्मिक या चारित्रिक विकास
- अवस्थाजन्य विशेषताएँ एवं विकासात्मक कार्य
- किशोरावस्था में वृद्धि एवं विकास
- परिपक्वता एवं प्रशिक्षण
- वैयक्तिक भेद
- अधिगम - अवधारणा, प्रकृति एवं अनुक्षेत्र
- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक
- अधिगम या सीखने के सिद्धान्त
- सीखने अथवा प्रशिक्षण का स्थानांतरण
- व्यवहार का अभिप्रेरणात्मक पक्ष
- स्मृति
- विस्मृति
- बुद्धि-प्रकृति, सिद्धान्त एवं मापन
- सृजनात्मकता
- अभिरुचि - स्म्प्रत्यय, एवं मापन
- अभिवृति - स्म्प्रत्यय एवं मापन
- ध्यान या अवध्यान
- रूचि - अर्थ, प्रकृति एवं मापन
- आदतें - अर्थ, प्रकृति एवं विकास
- चिंतन, तर्क एवं समस्या समाधान का मनोविज्ञान
- व्यक्तित्व - प्रकृति, प्रकार एवं सिद्धांत
- व्यक्तित्व के निर्धारक
- व्यक्तित्व का मूल्यांकन
- विशिष्ट बालक
- समायोजन, कुंठा एवं अंत:द्वन्द
- मानसिक स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य विज्ञान
- मार्गदर्शन एवं परामर्श
- समूह गतिशास्त्र एवं समूह व्यवहार
- आँकड़ों या प्रदत्तों का व्यवस्थापन एवं प्रस्तुतीकरण
- केन्द्रीय प्रवृत्ति के प्रमाप या विचलन मान
- सहसंबंध
- मनोवैज्ञानिक परीक्षण - प्रशासन एवं व्याख्या
- अनुक्रमणिका
ABOUT THE AUTHOR-
एस. के. मंगल (S. K. Mangal) (पीएच.डी.), सी. आर. कॉलिज ऑफ एजूकेशन, रोहतक (हरियाणा) के प्राचार्य एवं प्रोफेसर से सेवानिवृत हैं और शिक्षा जगत के एक जाने माने शिक्षक, प्रशासक, लेखक तथा अनुसंधानकर्त्ता हैं। उन्होंने कुछ शैक्षिक तथा मनोवैज्ञानिक परीक्षण (अनुसंधान उपकरण) जैसे अध्यापक समायोजन परिसूची, संवेगात्मक बुद्धि परिसूची आदि भी विकसित किये हैं तथा इनके लेख एवं शोधपत्र जानी मानी पत्रिकाओं में छपते रहते हैं। इन्होंने शिक्षा मनोविज्ञान, शिक्षा तकनीकी तथा विशिष्ट बालकों की शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न पुस्तकें लिखी हैं जिन्हें अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त हुई है।